बुधवार, 11 जनवरी 2017

१९९२ में पुरस्कृत व्यंग "उच्च शिक्षा का अंडरवर्ल्ड "



यह व्यंग्य १९९० में लिखा गया था .
चूँकि लम्बा था , किसी पत्रिका में छपने के लिए नहीं  भेजा गया .
११९१ में प्रतियोगिता की घोषणा हुई .
मार्च १९९२ में परिणाम आये .
देशभर से पत्र मिले और लोगो का आग्रह था कि इस पर उपन्यास लिखो .
उपन्यास १९९५ में लिखा जा चुका था. लेकिन नौकरी के चलते छपवाया नहीं. २००४ में ज्ञानपीठ को भेजा, निदेशक प्रभाकर श्रोत्रिय जी ने स्वीकृत किया, लेकिन उनका कार्यकाल पूरा हो गया, बाद में रविन्द्र कालिया  आये , पूरे छ साल पड़ा रहा, लीलाधर मंडलोई निदेशक बनें, वापस कर दिया .
२०१६ में बोधि प्रकाशन से छपा .

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